हरिद्वार। नौ दिनों के नवरात्र में पंचपुरीय पंच शक्तियों की विशेष आराधना की जाती है । ये शक्तियां परस्पर मिलकर एक त्रिभुज बनाती हैं और एक पंचभुज। त्रिभुज का शक्ति केंद्र धरती से पाताल तक है और पंचभुज की शक्तियां आकाश में। नवरात्रि में पूरे नौ दिनों तक शक्ति की आराधना विशेष भाव से की जाती है। पांचों देवियों के दरबार में कहीं शतचंडी होती है तो कहीं अनुष्ठान। इनके अतिरिक्त दस महाविद्याओं, महिषासुरमर्दिनी, बगुलामुखी और दक्षिण काली मंदिरों में भी श्रद्धालुजन पूजा संकीर्तन के लिए दिनभर पहुंचते है।
हरिद्वार में गंगा के दोनों ओर खड़ी शिवालिक पर्वतमालाओं पर मनसा देवी और चंडी देवी के विशाल दरबार फैले हुए हैं। मां मनसा भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली देवी है और मां चंडी देवी का वर्णन तो देवीभागवत में आता है। ये दोनों देवियां पहाड़ पर हैं और दोनों के बीचों बीच धरती पर हरिद्वार की अधिष्ठात्री माया देवी का मंदिर विद्यमान है। पर्वत के दो शिखरों पर स्थित दोनों मंदिरों को यदि पृथ्वी पर स्थित मायादेवी से मिलाएं तो अनोखी त्रिभुजीय शक्ति जन्म लेती है। इस अमूर्त त्रिभुज का केंद्र धरती पर होने के कारण धर्मनगरी में आए श्रद्धालुओं को त्रिदेवियों की कृपा सहज प्राप्त हो जाती है। इन देवियों को यदि पश्चिम दिशा में स्थित सिद्धपीठ सुरेश्वरी देवी और पूरब दिशा स्थित शीतला माता मंदिरों से जोड़ा जाए तो पंचपुरी में शक्तियों का पंचभुज बन जाता है। शीतलामाता मंदिर उस स्थल पर स्थित है, जहां राजा दक्ष की शिव से ब्याही गई अर्धांगिनी भगवती सती का जन्म हुआ था। मनसा, चंडी, माया, सुरेश्वरी और शीतला की पंच शक्तियां भगवती दुर्गा के नवरात्रों में एक ऐसा शक्तिपुंज बनाते हैं कि इस पंचपुरी में नवरात्रि साधना करने वालों को महापुण्य प्राप्त हो जाता है। शक्ति त्रिभुज और पंचभुज के अलावा धर्मनगरी में शक्ति आराधना के अनेक केंद्र हैं। तंत्र पूजा करने वालों के लिए यहां दक्षिणकाली, मां तारा और मां बगुलामुखी के मंदिर मौजूद हैं। दस महाविद्याओं, मां अंजनी देवी, मां मकरवाहिनी और मां काली के मंदिरों में नवरात्रि पूजा प्रतिदिन होती है। दिनभर अनुष्ठान चलते हैं तथा सायंकाल सभी मंदिरों में मां की भव्य आरती उतारी जाती हैं। पंचपुरी अब नौ दिनों तक घर घर बैठाए गए देवीभागवत और दुर्गासप्तशती के पाठों से गूंजती रहेगी ।