रुड़की। बीज के अंदर अंकुर ने अंगड़ाई ली, मदद करी माटी ने, एक न पाई ली। कवि सम्राट पद्मश्री प्रोफेसर अशोक चक्रधर की इन पंक्तियों का श्रोताओं ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ स्वागत किया। मौका आईआईटी रुड़की में आयोजित वार्षिक मोहत्वस थॉम्सो- 2023 के आयोजन का। जिसका आगाज बृहस्पतिवार की देर शाम राष्ट्रीय कवि सम्मेलन से हुई।
संस्थान के दीक्षांत भवन में आयोजित कवि सम्मेलन को संबोधित करते हुए अशोक चक्रधर ने पढ़ा कि बीज क अंदर अंकुर ने अंगड़ाई ली, मदद करी माटी ने, एक न पाई ली। भू के ऊपर पर अंकुर झूम-झूमके नाचा, कहो हवा ने कोई नाच सिखाई ली। तिरता-तिरता पत्ता तट तक आन लगा, क्या लहरों ने कोई भी उतराई ली। टहनी ने एक फूल को झुमका बना लिया, क्या डाली ने गहने की गढ़वाई ली। कलिका खिलकर फूल बनी सबने देखा, क्या कलिका ने कोई मुंह दिखलाई ली। इससे पूर्व गुरु सक्सेना ने कुनकुनी धूप सी सवेरे लगी सर्दी में व्यंग सुनाकर खूब गुदगुदाया। उन्होंने सूर्य पर कविता सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। डा. अनामिका जैन ने कहा चमक कभी दरिया के भीतर भी समुंदर जाग उठता है, तेरा ईश्वर, मेरा अल्लाह मालिका एक है सबका, मिले सम्मान हीरे को, तो पत्थर जाग उठता है पर तालियां बटोरी। इस मौके पर आईआईटी निदेशक प्रो. केके पंत, प्रो. एएस मौर्य एवं दिगंबर जैन आदि मौजूद रहे।