श्रीमद् भागवत कथा भवसागर से पार लगाती है व्यक्ति का जीवन- आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास
हरिद्वार। श्री बनखंडी साधुबेला पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने कहा है कि श्रीमद् भागवत कथा सभी प्रकार के कल्याण प्रदान करने वाली है। विद्या का अक्षय भंडार है। श्रीमद् भागवत कथा श्रवण से जन्म-जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। भूपतवाला स्थित साधुबेला आश्रम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने कहा कि जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़ा श्रम करना पड़ता था। कलयुग में कथा श्रवण मात्र से ही व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। सोया हुआ ज्ञान व वैराग्य कथा के श्रवण से जागृत हो जाता है। उन्होंने कहा कि कथा की सार्थकता जब ही सिद्ध होती है जब इसे हम अपने जीवन व्यवहार में धारण कर निरंतर हरिस्मरण करते हुए अपने जीवन को आनंदमय, मंगलमय बनाकर अपना आत्म कल्याण करें। कथा व्यास योगाचार्य राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा से मन का शुद्धिकरण होता है। शांति व मुक्ति मिलती है। इसलिए सद्गुरु की पहचान कर उनका अनुकरण एवं निरंतर हरि स्मरण भागवत कथा श्रवण करने की आवश्यकता है। भगवान की विभिन्न कथाओं का सार श्रीमद् भागवत मोक्षदाययनी है। स्वामी बलराम मुनि महाराज ने कहा कि कथा के माध्यम से मनुष्य भगवान की शरण में पहुंचता है। वरना वह इस संसार में आकर मोह माया के चक्कर में पड़ जाता है इसलिए मनुष्य को समय निकालकर श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला के दर्शन के लिए भगवान शिव जी को भी गोपी का रूप धारण करना पड़ा था। वास्तव में भगवान की कथा के दर्शन हर किसी को प्राप्त नहीं होते। भाग्यशाली व्यक्ति को ही कथा श्रवण का अवसर प्राप्त होता है। इस अवसर पर गोपाल दत्त पुनेठा, विष्णु दत्त पुनेठा, सुनील कुमार सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहें।