भागवत वेद रूपी कल्पवृक्ष का पका हुआ फल: स्वामी हरिचेतनानंद
हरिद्वार। गुरुवार को हरि सेवा आश्रम में भागवत कथा का शुभारंभ भव्य शोभायात्रा के साथ हुआ। उदासीन बड़ा अखाड़ा के कोठारी राघवेंद्र दास और गोविंद दास ने दीप प्रज्वलित कर भागवत कथा का शुभारंभ किया। इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद ने कहा कि भागवत वेद रूपी कल्पवृक्ष का पका हुआ फल है। इसमें रस ही रस है। इस रस को भक्तों को जीवन भर पीते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि वास्तव में श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान की वह अविरल धारा है जिसे जितना ग्रहण करो उतनी ही ज्ञान की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा देवताओं को भी दुर्लभ है सौभाग्यशाली व्यक्ति को ही कथा श्रवण का अवसर प्राप्त होता है। जीवन में शांति और अंत में मुक्ति की प्राप्ति होगी। कहा कि पुरुषोत्तम मास में भागवत श्रवण गंगा स्नान का विशेष महत्व है। इस बार श्रावण मास में पुरुषोत्तम का अनुपम योग बना है। सत्संग से सुख मिलता है। आत्मदेव महाराज ने गंगा तट पर दशम स्कन्ध कापाठ किया। गंगा तट पर स्नान के बाद श्रेष्ठ महापुरुषों का दर्शन उनके साथ घड़ी दो घड़ी का सत्संग मानव जीवन में परिवर्तन लाता है। गंगा की निर्मलता को बनाए रखें। अपने जीवन को व्यसन मुक्त बनाएँ यही भागवत का संदेश है।