उत्तराखण्ड सरकार ने सामाजिक समरसता और व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए “यूनिफॉर्म सिविल कोड अधिनियम -2024” को लागू करने जा रही है। यह अधिनियम राज्य के सभी निवासियों पर लागू होगा, चाहे वे राज्य के भीतर या बाहर निवास कर रहे हों। हालांकि, संविधान के अनुच्छेद 342 और 366(25) के तहत अधिसूचित अनुसूचित जनजातियों तथा भाग XXI के अंतर्गत संरक्षित प्राधिकार/अधिकार-प्राप्त व्यक्तियों व समुदायों पर यह अधिनियम लागू नहीं होगा।
इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य विवाह संबंधी कानूनी प्रक्रियाओं को सरल, सुव्यवस्थित और पारदर्शी बनाना है। यह कानून व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए समाज में समरसता और संतुलन बनाए रखने का प्रयास है। विवाह के लिए पात्रता सुनिश्चित की गई है, जिसमें यह अनिवार्य है कि दोनों पक्ष मानसिक रूप से स्वस्थ हों, निषिद्ध संबंधों में न हों, और उनकी आयु पुरुष के लिए 21 वर्ष व महिला के लिए 18 वर्ष हो। इसके साथ ही, किसी का जीवित जीवनसाथी नहीं होना चाहिए।
विवाह का पंजीकरण अब 60 दिनों के भीतर अनिवार्य होगा। 26 मार्च 2010 से पहले हुए विवाह, यदि सभी कानूनी योग्यताओं को पूरा करते हैं, तो पंजीकरण करा सकते हैं। यह कदम विवाह प्रक्रिया को कानूनी पहचान देने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए उठाया गया है। विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों विकल्प उपलब्ध हैं। आवेदन पर निर्णय 15 दिनों में लिया जाना अनिवार्य होगा, और इस समयसीमा के बाद आवेदन स्वतः उच्च अधिकारी को भेजा जाएगा।
पंजीकरण प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए अपील का प्रावधान है। यदि आवेदन अस्वीकृत होता है, तो व्यक्ति पारदर्शी प्रक्रिया के तहत अपील कर सकता है। मिथ्या जानकारी देने पर दंड का प्रावधान भी किया गया है। पंजीकरण न होने के बावजूद विवाह को अमान्य नहीं माना जाएगा। यह कानून विवाह संबंधी सुरक्षा और सामाजिक स्वीकृति को महत्व देता है, साथ ही पारदर्शिता सुनिश्चित करते हुए कानूनी मान्यता प्रदान करता है।
राज्य सरकार विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया की निगरानी और क्रियान्वयन के लिए महानिबंधक, निबंधक और उप-निबंधकों की नियुक्ति करेगी। ये अधिकारी संबंधित अभिलेखों का संधारण और पंजीकरण प्रक्रिया को सुचारू रूप से सुनिश्चित करेंगे।