काली हरिद्वार। रूस-यूक्रेन युद्ध संकट के बीच की 18 फरवरी को डरा-सहमा प्रथम झांब अपने
घर धर्मनगरी पहुंच गया। यहां आकर उन्होंने राहत की सांस ली है। प्रथम ने वहां से के हालात साझा किए। बोले-यूक्रेन में युद्ध होने से
पहले वह घर आ गए है। पिछले कुछ दिनों से यूक्रेन में सभी लोग डरे हुए थे।
सेना की सक्रियता बढ़ गई थी। सड़कें सूनीं हो रही थी तथा लोग घरों से कम
निकल रहे । दवा कारोबारी
अनिल झांब के बड़े बेटे प्रथम झांब ने 11 दिसंबर 2021 को रूस की राजधानी
कीव में स्थित बोगो मोलेट मेडिकल यूनीवर्सिटी में एमबीबीएस में प्रवेश
लिया था। प्रथम झांब दिसंबर से ही वह यूक्रेन में रहकर पढाई कर रहे है
परंतु अब रूस व यूक्रेन के बीच उपजे संकट ने उन्हें घर वापस लौटने पर
विवश कर दिया। प्रथम झांब 18 फरवरी की हरिद्वार स्थित अपने घर पर पहुंचे।
दहशत के माहौल को छोड़ कर अपनों के बीच घर पहुंचे डरे-सहमे प्रथम व उनके
स्वजन ने राहत की सांस ली है। उन्होंने यूक्रेन के
हालात साझा किए। बोले- वहां के हालात बिल्कुल भी ठीक नहीं है। कब क्या हो
जाए कुछ नहीं कहा जा सकता था। वहां सभी लोग डरे हुए थे। बीते 15 दिन से
तो वह भी आवास से बाहर नहीं निकल पा रहे थे। पास में ही स्थित स्टोर से
10 मिनट के भीतर खाने का सामान ले आती थे। बोलें कि यूक्रेन की सीमा पर
गोलीबारी हो रही है। कई धमाके भी हुए हैं। वहां सीमा व आसपास के शहरों
में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया है। प्रथम ने
बताया कि यूक्रेन में रहने वाले अन्य देश के लोग वहां से जाने की
तैयारियों में जुटे हुए थे। प्रथम के पिता अनिल झांब व मां ने बताया कि
युद्ध को लेकर उनके मन में अजीबों-गरीब ख्याल आ रहे थे। बेटे के वापस आने
से राहत मिली है।