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23 नवम्बर, गुरूवार को कार्तिक शुक्ल पक्ष  देवउठनी एकादशी का व्रत

23 नवम्बर, गुरूवार को कार्तिक शुक्ल पक्ष  देवउठनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा. 

साथ ही तुलसी विवहा भी 23 नवम्बर को हरी हर मंदिर मे मनाया जायेगा 

तुलसी विवहा कार्यक्रम :-

सुबहा 6:30 से 8:00 बजे तक कार्तिक कथा 

दोपहर 12:30 से 2:30 बजे तक तुलसी विवहा पूजन व (तुलसी) कन्या दान संकल्प !

विवहा उत्सव वा संकीर्तन:-

दिनांक 23 नवम्बर, दिन गुरूवार  को कार्तिक शुक्ल पक्ष  देवउठनी एकादशी व तुलसी विवहा उत्सव के शुभ उपलक्ष पर भजन मण्डली द्वारा हरीहर मंदिर मे संकीर्तन अयोजित होगा जिसका समय 3:00 pm से 6:00 pm बजे तक रहेगा !

व्रत परायण अगले दिन सूर्य उदय के पश्यात।

आइये आप और  हम तुलसी विवहा ओर देवउठनी एकादशी के इस पावन  पर्व को एक सुन्दर उत्सव के रूप मे मनाये आप सभी ज्यादा से ज्यादा संख्या मे बांके बिहारी जी का आशीर्वाद प्राप्त कर पुण्यो के भागी बने । राधे राधे 

तुलसी विवहा विशेष –

कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को ही तुलसी और शालिग्राम जी का विवाह किया जाता है।  तुलसी जी और शालिग्राम की कृपा से विवाह में आने वाली बाधाएं भी दूर होती हैं। शादीशुदा जीवन में भी खुशियां बनी रहती हैं।तुलसी विवाह करने से कन्यादान के समान फल की प्राप्ति होती है, इसलिए यदि किसी व्यक्ति की कन्या न हो तो उसे तुलसी विवाह करके कन्या दान का पुण्य जरूर कमाना चाहिए। जो व्यक्ति विधि-विधान के साथ तुलसी विवाह संपन्न करता है उसके मोक्ष प्राप्ति के द्वार खुल जाते हैं। साथ ही तुलसी और भगवान शालिग्राम का विधिवत पूजन करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

देवउठनी एकादशी विशेष :-

 इस दिन पांच माह बाद देव योग निद्रा से जागेंगे और फिर समस्त मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे. हिंदू धर्म में इसे देवोत्थान एकदशी के नाम से भी जाना जाता है

इस दिन से मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है.  देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु का ध्यान करने से मन को शांति मिलती है और पापों से मुक्ति मिलती है.

श्री हरी हर मंदिर (न्यू हरिद्वार)

नया हरिद्वार वेल्फेयर सोसाइटी

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