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नही मिला वेतन, कर्मचारियों का कार्य बहिष्कार जारी

हरिद्वार। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय शिक्षणेत्तर कर्मचारी संघ के पूर्व प्रस्तावित आंदोलन के क्रम में बुधवार को गुरुकुल और  ऋषिकुल आयुर्वेद कॉलेज हरिद्वार के प्रशासनिक भवन और मुख्य परिसर हर्रावाला देहरादून के कर्मचारियों ने तीसरे चरण के पहले दिन 4 घंटे कार्य बहिष्कार किया। आंदोलन कार्यक्रम के दौरान उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ के संगठन मंत्री राहुल तिवारी ने कहा कि विश्व विद्यालय में कार्यरत कार्मिकों का दो माह से वेतन नहीं मिला है। तीसरा माह भी निकट है। वेतन के अलावा भी अन्य मांगे हैं, जिस पर विवि प्रशासन चुप्पी साधे हुए है। यदि जल्द ही कर्मचारियों की मांगो का निस्तारण नहीं किया तो उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे। चंदन सिंह चौहान ने कहा कि विवि प्रशासन कर्मचारियों को बार-बार झूठा आश्वासन देकर अपनी मनमानी करता रहा है। संघ की उपाध्यक्ष आनंदी शर्मा ने कहा कि प्रशासनिक भवन में मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, चिकित्सालय में फार्मासिस्ट, चीफ फार्मासिस्ट ,नर्सिंग संवर्ग में सहायक नर्सिंग आधिकारी, मैट्रन आधिकारी के पद सृजित नहीं है। पदों के सृजन के लिए बार-बार प्रशासन से पत्र लिखा जा चुका है, लेकिन इसके बाद भी प्रशासन पदों के सृजन को लेकर उदासीन बना हुआ है। जो कि कार्मिकों के लिए भविष्य और सामाजिक रूप से चिंताजनक विषय है। चिकित्सा स्वास्थ के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश लखेड़ा ने कहा कि विश्व विद्यालय वेतन आदि अन्य मांगों को निस्तरित करने में असमर्थ है, तो दोबारा ऋषिकुल गुरुकुल आयुर्वेद काॅलेज का राजकीयकरण कर दिया जाए। जिससे कर्मचारियों का वेतन अन्य देयकों का भुगतान कोषागार के माध्यम से हो सके। इस मौके पर समीर पांडेय, कुसुम, मीनाक्षी गौड, सुरेंद्र सिंह, जगजीत सिंह, कमल कुमार, नितिन कुमार, चंद्रपाल, रोहित कुमार, बीना मठपाल, राजपाल, मोनिका वर्मा, अमित सिंह, चंद्र कला, सुदामा प्रसाद, सतीश कुमार, बृजेश, दिलबर सिंह सत्कारी, रमेश पंत, दीपक ज्योति, अनुभा भट्ट, शैलेश, प्रवीण, रश्मि, नित्या, बाला देवी, केलाशो, विवेक कुमार, रोहित, विनोद कुमार, अमित कुमार, ममता बिष्ट, डॉली आदि मौजूद रहे। उधर, आठ माह से लंबित स्टाईपेंड का भुगतान न होने के चलते यूजी इंटेनशिप के छात्रों ने प्रदर्शन किया। उन्होंने जल्द भुगतान न होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। इस संबध में उन्होंने उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलसचिव को पत्र भेजा है।

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