Arts & Culture Breaking Uttarkhand Chardham Tour 2023 city news Haridwar Local News

पितृ अमावस्या पर लगी नारायणी शिला मंदिर पर श्रद्धालुओं की भीड़ 

हरिद्वार।| पितृ अमावस्या है,ऐसा माना जाता है कि आज के दिन बद्रीनाथ धाम, गया या फिर हरिद्वार के नारायणी शीला मंदिर में पितरों के लिए की जाने वाली पूजा से पितरों को प्रेत योनि से मोक्ष की प्राप्ति होती है, आज के दिन श्राद्ध पक्ष में भूलोक में आये पितरों को विधाई देने के लिए बड़ी संख्या में लोग हरिद्वार के नारायणी शीला मंदिर पहुँच रहे है । माना जाता है कि यदि किसी के अपने पितरों की मृत्यु कि तिथि ना पता हो तो वह पितृ पक्ष के अंतिम दिन अमावस्या को पितरों को पिंङ दान तर्पण किया जाये तो पितरो को मुक्ति और मोक्ष जरूर मिलता है और इस दिन किया गया दान पुण्य कभी बेकार नही जाता है। 

जानकारी देते हुए नारायणी शिला के पंडित मनोज त्रिपाठी ने बताया कि पुराणों में कहा गया है कि जो व्यक्ति श्राद्ध पक्ष में किसी भी वजह से श्राद्ध नही कर पाता है तो वह इस पक्ष के आखिरी दिन पितृ विसृजनी अमावस्या के दिन यदि पिंङ दान श्राद्ध आदि कर दे तो पितरों को सदगति मिलती है। यह भी मान्यता है कि हरिद्वार में नारायणी शिला पर अपने सभी भूले बिसरों और अज्ञात पितरों का पिंङ दान व तर्पण करने से उन्हें प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है।

हरिद्वार में स्थित नारायणी शिला भगवान श्री हरि नारायण की कंठ से नाभि तक का हिस्सा है. भगवान की कमल विग्रह स्वरूप का बीच का हिस्सा है. इसी कमल स्वरूप भगवान के चरण गयाजी में विष्णु पाद और ऊपर का हिस्सा ब्रह्म कपाली के रूप में बद्रिकाश्रम अर्थात बदरीनाथ में पूजा जाता है और श्रीहरि का कंठ से लेकर नाभि तक का हिस्सा हरिद्वार स्थित नारायणी शिला के रूप में पूजा जाता है.

नारायणी शिला के बारे में बताया जाता है कि यह श्री हरिनारायण का हृदय स्थल है. यहां पर आकर आप जो कुछ कहते हैं, वह भगवान को अपने हृदय में सुनाई देता है. यहां पर आकर जो अपने पितरों के निमित्त कर्म करता है तो उसकी पितरों को मुक्ति तो मिलती है, साथ ही बड़ी बात यह भी है कि पितरों की पूर्णता भी नारायणी से ही संभव है. यदि कोई पितृ अधोगति गया है तो नारायणी शिला पर शादी करने से वह पितरों के बीच चला जाता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *