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साधुबेला पीठाधीश्वर ने कोरोना काल के मृतको की आत्मशांति के लिए किया श्राद्ध तर्पण

साधुबेला पीठाधीश्वर ने कोरोना काल के मृतको की आत्मशांति के लिए किया श्राद्ध तर्पण

अर्पण तर्पण और समर्पण भारतीय संस्कृति के आधारभूत स्तंभ- आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास

हरिद्वार। श्री बनखंडी साधु बेला पीठाधीश्वर आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने पितृ अमावस्या के अवसर पर भूपतवाला स्थित भूमा निकेतन घाट पर कोरोना काल में मृतक निराश्रितो की आत्म शांति के लिए ग्यारह ब्राह्मण के निमित्त श्राद्ध तर्पण किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि संतों का जीवन परमार्थ के लिए समर्पित होता है। कोरोना काल के दौरान अनेक संत, महापुरुष एवं निराश्रित लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। जिनकी आत्म शांति के लिए गंगा के निमित्त श्राद्ध तर्पण किया गया है। दैव सत्ता की ही भांति सामर्थ्यवान और अनुग्रहशील परम कृपालु पितृ सत्ता हम सभी का सर्वथा मंगल करें। उन्होंने कहा कि अर्पण, तर्पण और समर्पण भारतीय संस्कृति के आधारभूत स्तंभ हैं। आज हम जो कुछ भी हैं, माता पिता और पूर्वजों के आशीर्वाद से ही है। इसलिए पितृ पक्ष आत्म अस्तित्व और जड़ों से जुड़ने का पाक्षिक दिव्य महोत्सव है। आचार्य स्वामी गौरीशंकर दास महाराज ने कहा कि सभी को प्रत्येक वर्ष अपने पितरों के प्रति श्रद्धा और समर्पण का भाव रखते हुए विधान अनुसार श्राद्ध कर्म अवश्य करना चाहिए। इससे पित्रजन प्रसन्न होकर अपनी असीम कृपा बरसाते हैं। स्वामी बलराम मुनि महाराज ने कहा कि संत महापुरुष जगत कल्याण के लिए अपने तप और विद्वत्ता के माध्यम से समाज का मार्गदर्शन करते हैं। हम सभी को संतो के जीवन का अनुसरण कर समाज कल्याण में अपनी सहभागिता को सुनिश्चित करना चाहिए। इस दौरान स्वामी सुरेंद्र दास, नरेश कुंजवानी, विकास शर्मा, गोपाल पुनेठा, विष्णु पुनेठा, जीतू भाई, सुनील दीपक उपस्थित रहे।

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