देसंविवि में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ
पर्यटन भारत के आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास में सहायक- श्री सी रविशंकर
भारतीय विरासत को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी हमारी- डॉ चिन्मय पंड्या
हरिद्वार || स्थित देव संस्कृति विश्वविद्यालय के पर्यटन विभाग के तत्वावधान में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। इस सम्मेलन के माध्यम से पर्यटन की दिशा हो रहे वैश्विक रुझान, नवीनतम प्रगति और सोच को सकारात्मक दिशा देना है। इस दौरान सम्मेलन में पर्यटन और अन्य उभरते क्षेत्रों में नवीनतम नवाचारों पर भी चर्चा की जायेगी।
सम्मेलन का शुभारंभ उत्तराखण्ड पर्यटन विभाग के मुख्य सचिव श्री रविकुमार ए., देसंविवि के कुलपति श्री शरद पारधी, प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या सहित अनेक महानुभावों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर किया। सम्मेलन की शुरूआत कुलगीत से हुआ।
उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि उत्तराखण्ड के पर्यटन एवं निर्वाचन विभाग के मुख्य सचिव श्री रविशंकर कहा की पवित्र एवं नोबेल आत्माएं समाज में बदलाव करते हैं एवं समाज में नैतिकता का विकास करते हैं ऐसे ही नोबल आत्मा डॉक्टर चिन्मय पंड्या है। उन्होंने कहा कि आज के पर्यटन में स्थायित्व को जोड़ना अत्यंत आवश्यक है बिना स्थाई विकास के पर्यटन संभव नहीं इसके लिए हमें अतिथि देवो भवः का भाव जागृत करना होगा। प्रत्येक जगह और प्रत्येक मनुष्य को अपना मानने पर यह भाव जागृत होता है।
इस अवसर पर देसंविवि के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि देश की संस्कृति का समझना है, तो यात्रा अवश्य करनी चाहिए। भारतीय संस्कृति की विरासत को सुरक्षित रखने के लिए हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। विवेकानंद विश्वविद्यालय के कुलपति श्री अनिल तिवारी आदि अतिथियों ने भी देश में पर्यटन को बढावा देने के लिए जोर दिया। देसंविवि के कुलपति श्री शरद पारधी जी अतिथियों को आभार प्रकट किया।
इस अवसर पर श्री रविकुमार, प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ चिन्मय पण्ड्या एवं अतिथियों ने पर्यटन विभाग की ओर से प्रकाशित कई किताबों का विमोचन किया। प्रतिकुलपति जी ने पर्यटन सचिव श्री रविकुमार व अन्य अतिथियों को गंगाजली, युगसाहित्य, स्मृति चिह्न आदि भेंटकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर कुलपति श्री शरद पारधी, कुलसचिव श्री बलदाउ देवांगन, डॉ अरुणेश पाराशर, डॉ उमाकांत इंदौलिया सहित समस्त विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर्स, लेक्चरर्स सहित अनेक गणमान्य व शिक्षाविद् उपस्थित रहे।
वहीं दूसरी ओर देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रज्ञेश्वर महादेव मंदिर के पास भारत सरकार की योजना मेरी माटी मेरा देश (मिट्टी को नमन, वीरों को वंदन) के अंतर्गत अंमृत कलश यात्रा का आयोजन हुआ। इसमें देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के समस्त विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर्स, छात्र- छात्राएं सहित शांतिकंुज के अंतेवासी कार्यकर्त्ताओं ने उत्साहपूर्वक प्रतिभाग किया।